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"Arth Aasvadan" अर्थ आस्वादन"

अर्थ आस्वादन

शास्त्र में शास्त्रों का पाठ या इन्हें पढ़कर गुजर जाने की बात की बजाय इनके अर्थों पर चिंतन व आस्वादन की बात कही गई है । ब्रह्म सूत्र के रामानुज, वल्लभ, मध्व, निम्बार्क एवं गौड़ीय गोविंद भाष्य-एक प्रकार का अर्थ-आस्वादन ही है ।

"Arth Aasvadan" अर्थ आस्वादन"
"Arth Aasvadan" अर्थ आस्वादन"

शास्त्र में जो लिखा है- उसमें रहस्य है, उसमें अर्थ छिपा है और हमारे विद्वान आचार्यों ने उस पर टीकाएं लिखी हैं, उनमें नीहित अर्थ को स्पष्ट किया है ।हमें श्रेष्ठ, सजातीय रसिक भक्तों के साथ बैठकर उन अर्थों का आस्वादन करना है ।तभी शास्त्र का वास्तविक मर्म समझ भी आता है और अर्थ भी अपने अपने स्तर के हिसाब से समझ में आता है ।आज से पाँच साल पहले और आज उसी श्लोक का अर्थ समझने मेंअन्तर पता चलता है और शायद पाँच साल बाद कुछ और अर्थ समझ आयेगा ।


समस्त वैष्णव वृंद को दासाभास का प्रणाम ।

।। जय श्री राधे ।।

।। जय निताई ।। लेखक दासाभास डॉ गिरिराज

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