"Kaliya Naag ka Sawbhav" "कलिया नाग का स्वभाव"
- Dasabhas DrGiriraj Nangia
- Jul 26, 2019
- 1 min read
कलिया नाग का स्वभाव
कालिया नाग ने प्रभु की स्तुति की और कहा - प्रभु ये मेरा स्वभाव है आपने ही बनाया है और स्वभाव छूटता नहीं है ।

भगवान ने कहा कि ठीक है, कोई और कहे जो स्वभावानुकूल आचरण में लगा हो। तुम अनेक समय से धाम में हो ! यमुना के जल में हो !आज मेरे चरणों का स्पर्श भी तुम्हे प्राप्त हो गया ।फिर भी तुम अपने स्वभाव का रोना रो रहे हो तो तुम्हे धाम में रहने का अधिकार नहीं एक साधक भी यदि इतना सब पाकर अपना स्वभाव नहीं बदलता अपितु,उसकी आड़ लेता है तो उसे भी धामवास का अधिकार नहीं ।भागो यहाँ से !
समस्त वैष्णव वृंद को दासाभास का प्रणाम ।
।। जय श्री राधे ।।
।। जय निताई ।।
लेखक दासाभास डॉ गिरिराज
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