"Adhik Dukh Adhik Bhajan" "अधिक दुःख । अधिक भजन"
- Dasabhas DrGiriraj Nangia
- Feb 10, 2019
- 1 min read
अधिक दुःख । अधिक भजन
यदि हमने बड़ी कार खरीदनी है तो उसके लिए अधिक धन की व्यवस्था करनी होगी इसी प्रकार यदि हमने कोई बड़ी कामना की पूर्ति करवानी है तो हमें अधिक भजन करना होगा अथवा कोई बड़ा दुख कटवाना है तो अधिक भजन करना होगा

जितना बड़ा दुख उतना बड़ा भजन । जितनी बड़ी कामना उतना अधिक भजन यह बात आर्त या दुःख निवृत्ति चाहने वाले भक्तोंं के लिए है ।विशुद्ध भक्तों के लिए नहीं वह तो श्रीकृष्ण को सुख देने के लिए भजन करते हैं । वह अच्छी तरह जानते हैं अधिक भजन करने से कृष्ण को अधिक सुख होगा ठीक वही सिस्टम दुखी भक्तों के लिए दुख दूर करने के लिए लागू होता है यदि आप के दुख दूर नहीं हो रहे हैं तो मानिये कि पर्याप्त भजन या जितना भजन चाहिए उतना नहीं हो रहा है
समस्त वैष्णव वृंद को दासाभास का प्रणाम ।
।। जय श्री राधे ।।
।। जय निताई ।। लेखक दासाभास डॉ गिरिराज
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