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"Krodh kam kese kare?" "क्रोध कम कैसे करें?"

क्रोध या तमोगुण कैसे कम हो ?

मधु मक्खियाँ जिस बाग से मधु एकत्र करती हैं, उस बाग में यदि नीम के पेड़ अधिक है तो उस मधु में नीम के गुण भी आ जाते हैं, मधु के गुण तो होते ही हैं. इसी प्रकार गुलाब के, गेंदा के, अथवा अन्य किसी के गुण उस मधु म होते हैंसाधारणतया वह मधु ही है, laboratory में इस सूक्ष्मता का पता चलता है.


"Krodh kam kese kare?" "क्रोध कम कैसे करें?"
"Krodh kam kese kare?" "क्रोध कम कैसे करें?"

इसी प्रकार हमारे शरीर में बहने वाला रक्त साधारणतया एक जैसा ही लगता है लेकिन जो भोजन हम करते हैं, उसका प्रभाव उस रक्त पर पड़ता है, अपितु उसी भोजन का वैसा ही रक्त बनता है. यदि भोजन तामसिक है, तो

रक्त तामसिक बनेगा, रक्त तामसिक होगा तो हमारा आचरण, सोच, क्रिया, बर्ताव, सभी कुछ तामसिक होगा. अतः क्रोध या तमोगुण कम करना है तो अपने भोजन को ठीक करना ही होगा. जैसा अन्न - वैसा मन -बहुत पुराणी कहावत है.

समस्त वैष्णव वृंद को दासाभास का प्रणाम ।

।। जय श्री राधे ।।

।। जय निताई ।। लेखक दासाभास डॉ गिरिराज

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