शास्त्र पढ़ने ही पड़ेंगे
तीन कृपा हैं । गुरु कृपा । शास्त्र कृपा । आत्म कृपा । इसमें से सर्व शुद्ध है ग्रन्थ कृपा ।ग्रंथ दोष रहित हैं । ग्रन्थ प्रभु के विग्रह हैं । ग्रन्थ हर समय । हर अवस्था में पढ़ सकते हैं ।ग्रंथ पढ़ते समय जिज्ञासा या प्रश्न भी उठते हैं, जिन्हें गुरुदेव से समझा जा सकता है ।
शास्त्र भी श्रद्धा सहित पढ़ते पढ़ते कृपा करते हैं
एक बार म् समझ नही आते । अपितु उतना ही समझ आते हैं जितनी साधक की स्तर होता है । दासाभास ने यह अनेक बार अनुभव किया ।अतः एक ग्रन्थ यदि पढ़ लिया तो उसे 2।4 साल बाद दुबारा पढो । बहुत कुछ न्या मिलेगा ।ऊंचाई यह है कि जो पढो या सुनो , उसका दृश्य बनता जाय ।पढ़ने म मन न लगता हो तो भी पढो । पढ़ते पढ़ते मन भी लगने लगेगा । हां उल् जुलूल ग्रन्थ मत पढो । भ्र्म होगा ।शास्त्र कृपा यदि हो गयी फिर अधिक देर नही लगनी है । सब समझ आ गया एक बार तो फिर नासमझी की बातें नही करेगा दासाभास ।
शुरू कीजिए आज ही ।
समस्त वैष्णव वृंद को दासाभास का प्रणाम ।
।। जय श्री राधे ।।
।। जय निताई ।। लेखक दासाभास डॉ गिरिराज
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